

नई दिल्ली. श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या और बुजुर्गों एवं दिव्यांग यात्रियों की यात्रा को सरल बनाने के लिए बहुप्रतीक्षित रोपवे परियोजना को लागू करने का निर्णय लिया है. श्राइन बोर्ड के इस कदम से श्री माता वैष्णो देवी के भवन तक की यात्रा सुरक्षित तो होगी ही साथ ही इसमें बहुत कम समय लगेगा. रोपवे परियोजना का कुछ स्थानीय लोग विरोध कर रहे हैं. श्राइन बोर्ड का कहना है कि स्थानीय लोगों की चिंताओं का ध्यान रखते हुए इस परियोजना को कार्यान्वित किया जाएगा.
रोपवे ताराकोट मार्ग को मुख्य भवन से जोडेगा. रोपवे के सहारे सांझी छत तक यात्री जाएंगे. सांझी छत से श्रद्धालु माता के भवन तक यात्री पैदल यात्रा करके जाएंगे. माता वैष्णों देवी के दर्शन के लिए रोजाना बड़ी संख्या में भक्त आते हैं. माता के भवन तक जाने के लिए श्रद्धालुओं को 13 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती है. शारीरिक रूप से सही यात्री आसानी से यह यात्रा कर लेते हैं, लेकिन बीमार या दिव्यांग लोगों को घोड़ा, खच्चर या पालकी का सहारा लेना पड़ता है. इस रोपवे से प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु यात्रा कर सकेंगे. पारंपरिक ट्रैकिंग मार्ग पर भीड़-भाड़ में कमी आएगी और घंटों में पूरी होने वाली यात्रा कुछ मिनटों में सिमट जाएगी.
गेम चेंजर साबित होगी परियोजना
श्राइन बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अंशुल गर्ग ने कहा कि यह परियोजना उन श्रद्धालुओं के लिए गेम चेंजर साबित होगी जो गुफा तक पहुंचने के लिए 13 किलोमीटर की कठिन चढ़ाई नहीं कर सकते. उन्होंने यह भी बताया कि स्थानीय लोगों की चिंताओं का ध्यान रखते हुए ही रोपवे परियोजना को कार्यान्वित किया जाएगा.
हर साल बढ़ रही है श्रद्धालुओं की संख्या
गर्ग ने बताया कि माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या हर साल बढ़ रही है. 2023 में यात्रा ने 95 लाख का नया रिकॉर्ड स्थापित किया था. इस साल अब तक 86 लाख श्रद्धालु माता रानी के दर्शन कर चुके हैं. ऐसे में, इस रोपवे परियोजना को प्राथमिकता दी जा रही है, ताकि लाखों श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं मिल सकें.
आधुनिक तकनीक से लैस होगा रोपवे
अधिकारियों के अनुसार, रोपवे तारकोट मार्ग को भवन यानी मुख्य मंदिर क्षेत्र से जोड़ेगा. पर्यावरण पर न्यूनतम प्रभाव डालने के लिए सावधानीपूर्वक योजना बनाई जा रही है. साथ ही, श्रद्धालु रोपवे से यात्रा के दौरान त्रिकुटा पहाड़ियों का शानदार दृश्य भी देख सकेंगे, जिससे यात्रा का आध्यात्मिक और प्राकृतिक अनुभव और बेहतर होगा.